Maxim Gorky(1906)

मैक्सिम गोर्की का पत्र रूसी कामरेडों के नाम

1 जनवरी, 1906

कामरेड,

गरीबी की क्रूरता के विरुद्ध संघर्ष का अर्थ है, दुनिया में फैले उत्पीडऩ के जाल से मुक्ति के लिए छेडी गई जंग, और ढेरों असभ्य विरोधाभासों से भरी इस लड़ाई को लोग बहुत ही कमजोर तरीके से लड़ रहे हैं. आप पुरुषोचित तरीके से पूरी ताकत के साथ इस जाल को काटने की कोशिशों में लगे हैं, उधर आपके दुश्मन आपकी कोशिशों को तोडऩे और आप को हर संभव तरीके से इस जाल में और बुरी तरह घेरने की फिराक में हैं.

आपके पास हथियार के रूप में सत्य की तेज तलवार है, जब कि आपके दुश्मनों के हाथ में असत्य की बर्छी. सोने की चमक से चुंधियाए वे कमीने केवल ताकत में यकीन रखते हैं. और यह नहीं समझते कि धीरे-धीरे बढ़ती यह चमक एकता के इस महान आदर्श को जला कर रख देगी कि सभी मुक्त कामगार एक कॉमरेड परिवार के सदस्य हैं.

समाजवाद मुक्ति, समानता और भाई-चारे का धर्म है पर यह बात उनकी समझ से उसी तरह परे है जैसे एक गूंगे- बहरे आदमी के लिए संगीत या फिर एक मूर्ख के लिए कविता. जब वे लोग आजादी और प्रकाश की ओर जनसमुदाय को उमड़ते देखते हैं तो उन्हें अपनी शांति भंग होने का खतरा सताने लगता है. लोगों की जिंदगी के सरमाएदार के रूप में उनकी जो जगह बनी हुई है उन्हें वह हिलती, छिनती- सी लगती है. वे सच छिपाने लगते हैं यहां तक कि अपने बीच एक दूसरे से भी और खुद को न्याय को पराजित करने की खोखली आशा के साथ सांत्वना देते रहते हैं.

वे सर्वहारा वर्ग को बेहद अपमानजनक तौर पर भूखे काले जानवरों का हुजूम कहते हैं. उनके अनुसार इन भूखे जानवरों की इच्छा भारी मात्रा में भोजन हड़पने की है और अगर इनके राक्षसी जबड़े रोटियों से नहीं भरे गए तो ये सब कुछ तबाह करने को तैयार हैं. धर्म और विज्ञान वे उपकरण हैं, जिसका प्रयोग वे लोगों को लगातार दास बनाए रखने के लिए करते हैं.

उन्होंने इसके लिए ही राष्ट्रवाद और एंटी सेमेटिकवाद की खोज की, ऐसे जहर ढूंढ़े जो आप सभी के आपसी भाईचारे वाले रिश्तों और आपकी आस्था को विषाक्त कर दें, यहां तक कि भगवान भी यहां संपत्ति के अभिभावक के रूप में केवल बुर्जुआ की तरह मौजूद हैं. रूस में एक क्रांति की ज्वाला फूट पड़ी है, जबकि वे बुनियादी तौर पर मजदूर शक्ति से संगठित रूसी सर्वहारा वर्ग की बेतहाशा निंदा किए जा रहे हैं - एक बर्बर झुंड, जो कुछ भी अस्तित्व में है उसको बर्बाद कर देने पर तुली ऐसी भीड़ जो अराजकता पैदा करने के अलावा कुछ भी और करने में समर्थ नहीं है.

यह आदमी जो आपको संबोधित कर रहा है, वह जनता का आदमी है और जिसने आज तक लोगों के साथ अपने संबंध नहीं तोड़े हैं, वह जिसने खुले दिमाग से रूसी सर्वहारा के मुक्तिसंघर्ष को देखा है, वह आदमी आपके सामने घोषणा करता है. रूसी सर्वहारा अपनी तत्काल आवश्यकता यानी राजनैतिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और वह अपनी ताकत से सरकार द्वारा घोषित 30 अक्टूबर के घोषणापत्र को पलट देंगे. वे इस घोषणापत्र को सम्राट की निजी इच्छा पूरी करने का काम बताते हैं, यह उनका सच है, यह जनता पर जीत की एक ट्रॉफी थी.

लेकिन हमारी सरकार ने मनमाने ढंग से शासन करने की आदत बना ली है. जिंदाबाद, सर्वहारा वर्ग जिस तरह से आगे बढ़ रहा है वह पूरी दुनिया को बदल कर रख देगा.जिन हाथों ने अपने देश को ताकतवर और संपन्न बनाया है, अब वे नई जिंदगी गढ़ रहे हैं! संसार भर के ऐसे सभी मजदूर जिंदाबाद. भविष्य का धर्म समाजवाद,जिंदाबाद.

सेनानियों को नमस्कार, और वे जिन्हें कभी भी सत्य की जीत पर, न्याय की जीत पर भरोसा रहा है! सब देशों के कामगारों को बधाई! समानता और स्वतंत्रता के महान आदर्शों से संयुक्त मानवता, जिंदाबाद! एम. गोर्की